Saturday, 10 February 2018

भौतिक विज्ञान के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य - Important Facts Of Physics

भौतिक विज्ञान के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य - Important Facts Of Physics

अतिचालकता Superconductivity

अतिचालकता ऐसी धातुओं अथवा वस्तुओं के संयोग से जनित भौतिक गुण हैं, जो विद्युत् प्रवाह में किसी प्रकार का प्रतिरोध उत्पन्न न करें तथा विद्युत् संचार के कारण उनमे तापीय ऊष्मा का उत्सर्जन न हो। ऐसा चालक व्यवहारिक अनुप्रयोग में निम्न तापमान पर अतिचालकता को प्रदर्शित करने लगता हैं। राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला, नई दिल्ली के वैज्ञानिकों ने डोप्ड बेरियम कॉपर ऑक्साइड सिस्टम में अतिचालकता ऋण स्थान में प्राप्त करने में अद्भुत सफलता प्राप्त की है। भारत सरकार ने उच्च स्तरीय समिति का गठन करके अतिचालकता के क्षेत्र में कार्यरत विभिन्न संस्थानों के शोध कार्य में सामंजस्य एवं समन्वय बनाये रखा है। इस संयोजित कार्यक्रम का उद्देश्य एक प्रकार का स्क्यूड (SQUIDS- Superconducting quantum interference devices) बनाने का है, जो की द्रव नाइट्रोजन में 77K तापक्रम पर अतिचालकता प्रावस्था उत्पन्न कर सके\ इस सन्दर्भ में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र ने ऐसे पदार्थों का संश्लेषण किया है, जो -40°C के ताप पर ही अतिचालकता के रूप में कार्य करने लगते हैं। यह एक महत्वपूर्ण खोज है।

अतिचालकता कार्यक्रम के अंतर्गत भारतीय वैज्ञानिक निम्नलिखित सामग्री उत्पादन करने का प्रयास कर रहे हैं-

1. किस प्रक्रिया द्वारा उच्च तापक्रम पर अतिचालकता सामग्री का उत्पादन हो।

2. किस विशेष प्राविधिकी अतिचालक का उपयोग करके उच्च क्षेत्रीय चुम्बकों का उत्पादन हो।

3. किस विशेष प्राविधिकी की सहायता से उच्च स्तरीय क्षेत्र की विद्युत् का उत्पादन हो।

4. किस विशेष प्राविधिकी के माध्यम से सिरेमिक यौगिकों की सामग्री को तारों में खींचा जाये।

5. इस प्रकार इन मूलभूत अनुसंधानों द्वारा विद्युत, उद्योग, विद्युत संचार एवं इलेक्ट्रोनिक उद्योग में क्रांति लायी जा सकती है।

अर्धचालक Semiconductor

ये कुछ ऐसे पदार्थ होते हैं, जिनकी इलेक्ट्रॉनिकीय संरचना इस प्रकार की होती है की कहीं इलेक्ट्रान मुक्त हो जाता है और कहीं रिक्ति (Hole) बन जाती है। इस प्रकार ये इलेक्ट्रॉनिक्स व ट्रांजिस्टर उपकरणों में प्रयुक्त किये जाने वाले पदार्थ हैं। ये आकार में अत्यंत सूक्ष्म होते हैं और इन्हें गर्म करना आवश्यक नहीं होता है। सुगमता से मुक्त इलेक्ट्रान उपलब्ध होने से विद्युत् धारा उत्पन्न कर सकते हैं। जर्मेनियम व सिलिकॉन ऐसे मुख्य पदार्थ हैं। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में इनका उपयोग बढ़ता जा रहा है। रेडियो, टेलीविज़न, कैलकुलेटर, विडियो गेम, मोबाइल फोन आदि अनेक उपकरण बनाने में इन अर्धचालक पदार्थों का उपयोग होता है, जो मानव जीवन के अभिन्न अंग बन गए हैं।

इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को छोटे से छोटा बनाने के लिए अनेक प्रकार की तकनीकों का उपयोग किया गया, परन्तु उनमे सर्वाधिक उल्लेखनीय अर्धचालक है। अर्धचालक की विद्युत् चालकता, सुचालक पदार्थ की चालकता से कम और कुचालक की चालकता से अधिक होती है।

सूक्ष्म इलेक्ट्रॉनिकी टेक्नोलॉजी द्वारा निर्मित सूक्ष्म कणों ने इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों में कर्न्तिकारी परिवर्तन ला दिए हैं। इस युक्तियों में प्रयुक्त होने वाली बड़ी-बड़ी ट्यूबों  का स्थान इन उपकरणों ने लेकर इन्हें आश्चर्यजनक रूप से छोटा बना दिया है। इन आधुनिक उपकरणों ने चिकित्सा शिक्षा संचार व्यवस्था और वस्तुतः जीवन के प्रत्येक पहलू में क्रान्तिकारी परिवर्तन ला दिए हैं।

नया सुपरकंडक्टर New Superconductor

हल में ही जापान के राष्ट्रीय धातु अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने एक नया उच्च-ताप अतिचालक (सुपरकंडक्टर) विकसित किया है। यह अतिचालक बिस्मिथ-स्ट्रोंशियम-कैल्शियम-कॉपर ऑक्साइड मिश्र धातु से तैयार किया गया है। इसकी विशेषता यह है की इसके निर्माण में किसी दुर्लभ मृदा (Rare Earth) तत्व का प्रयोग नहीं किया गया है। अब तक जो भी उच्च ताप अतिचालक विकसित किये गए हैं, उनमें यूट्रियम और लेंथेनम जैसे दुर्लभ मृदा तत्वों का उपयोग किया गया है। दुर्लभ मृदा तत्व बहुत दुर्लभ न होने के बावजूद काफी महंगे होते हैं।

इस नये अतिचालक (Bi, Sr, Ca, Cu2O3) को कई घंटों तक 900°C से कुछ ही कम ताप पर एनिल करने से 120K पर इसके प्रतिरोध में कमी आनी शुरू हो जताई है और 79K पर उसका प्रतिरोध शून्य हो जाता है। वैसे इसके प्रतिरोध में 107K के आस-पास एकाएक कमी आ जाती है। इसका रंग काला है, पर अब तक इसकी क्रिस्टलीय संरचना ज्ञात नहीं की जा सकी है।

फाइबर ऑप्टिक्स Fibre Optics

दूर संचार के क्षेत्र में क्रन्तिकारी परिवर्तन ला देने वाली यह एक नवीनतम तकनीक है। कांच के बने अत्यंत बारीक़ तंतु (Fibres)  का उपयोग संचारी तारों (Cables) के रूप में किया गया है। इन बारीक़ सूत्र तंतुओं ने संचार माध्यमों की परम्परागत विधियों-  तांबे के तार, माइक्रोवेव आदि को कहीं पीछे छोड़ दिया है और इनसे सैकड़ों गुना अधिक कार्य बहुत कम समय में और बहुत कम लगत पर संपन्न हो सकता है। उदाहरण के लिए- बाल ले समान महीन फाइबर तकनीक से टीवी, कंप्यूटर तथा कार्यालयों के टेलेफोनों से संपर्क किया जा सकता है। एक सामान्य तांबे के तार की तुलना में इस पर 500 गुना संचार भार आरोपित कर सकते हैं। जो सन्देश एक तांबे के तार द्वारा काफी देर में पहुंचाए जाते हैं, वे इस फाइबर तकनीक द्वारा केवल एक सेकंड में पहुँच जाते है तथा इसके द्वारा दुसरे स्थान तक पहुँचने वाले संकेत बिलकुल शुद्ध व स्पष्ट होते हैं। इस प्रकार प्रकाश की गति से सन्देश संकेतों को स्पष्ट व शुद्ध रूप से तत्काल संचालित करने की यह एक सस्ती और उपयोगी तकनीक है।

1960 में अमेरिका में न्यूजर्सी स्थित बेल लेबोरेटरी में विकसित इस युक्ति का प्रयोगात्मक परिक्षण शिकागो में सन 1973 में किया गया। इसके अविष्कारक डॉं. फिलिप एंडरसन को उनके अध्ययन, ‘कांच की इलेक्ट्रॉनिक संरचना में प्रकाशिक अध्ययन’ के लिए 1977 में नोबेल पुरुस्कार प्राप्त हुआ। अब इसके प्रयोग से सूक्ष्म इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण में तथा दूर संचार युक्तियों में चमत्कारिक प्रगति हुई है। कंप्यूटर टेलीप्रिंटर, टीवी, टेलीफोन रोबोट आदि उपकरणों का आकार अब सूक्ष्मतम और सरल बनाया जा सकेगा तथा सन्देशवाहन की लगत को बहुत कम किया जा सकेगा।

इलेक्ट्रॉनिकी Electronics

इलेक्ट्रॉन किसी तत्व के नाभिक में उपस्थित वह सूक्षम व ऋण आवेशित कण है जो नाभिक के चारो ओर एक नियत कक्ष में चक्कर लगाता है।

इलेक्ट्रॉन जब क्वार्टज़ क्रिस्टलों के भीतर एक नियत पथ पर गति करता है, तो उससे उत्पन्न प्रभावों को इलेक्ट्रॉनिकी के अंतर्गत रखा जाता है। सबसे पहले यंत्रों में निर्वात ट्यूबों का प्रयोग किया जाता था, जो काफी स्थान घेरते थे। इसी कारण प्राचीन समय में बड़े-बड़े रेडियोग्राम देखने को मिलते थे। धीरे-धीरे  निर्वात ट्यूबों का स्थान ट्रांजिस्टरों व अर्द्ध-चालकों (semi-conductors) ने ले लिया। ये अपेक्षाकृत बहुत कम स्थान घेरते थे, लागत में कम थे तथा बहुत सरल थे। अब इनका स्थान इंटिग्रेटेड सर्किट्स के द्वारा किया जा रहा है। सबसे आधुनिक तकनीक माइक्रोप्रोसेसर या माइक्रोचिप्स की है। माइक्रोचिप्स सिलिकॉन के बने होते हैं तथा इनकी लगत काफी कम होती है।

इलेक्ट्रॉनिकी का आज कृषि संचार, चिकित्सा, रक्षा, उद्योग, अन्तरिक्ष अनुसंधान, इंजीनियरिंग, शिक्षा घरेलु उपयोग के यंत्रों आदि विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग हो रहा है। इलेक्ट्रॉनिक कारपोरेशन ऑफ़ इण्डिया की स्थापना 1967 में की गई। प्रौद्योगिकी विकास परिषद् एवं राडार परिषद् भी इलेक्ट्रॉनिकी दिशा में कार्यरत है।

इलेक्ट्रॉनिकी के उपयोग Uses of Electronics

1. उद्योगों में विभिन्न इकाइयों का एक साथ संचालन करने के लिए।

2. दूरस्थ विधि से किसी वस्तु का संचालन करने के लिए, जिसे रिमोट कंट्रोल भी कहा जाता है।

3. खतरे के समय इलेक्ट्रॉनिक अलार्म का उपयोग।

4. इलेक्ट्रॉनिक रोबोटों द्वारा अस्पतालों, होटलों व अन्य विशाल संस्थाओं में कार्यभार कम करने के लिए।

5. टेलीकम्युनिकेशन या दूरसंचार के क्षेत्र में।

6. उपग्रह संचालन के लिए।

7. दूरदर्शन के संचालन में।

8. राडार, मिसाइल, वायुयान, जलयान, अवाक्स व अन्य रक्षा उपकरणों के संचालन में।

9. कंप्यूटर निर्माण में

10. चिकित्सा उपकरणों व निदान सम्बन्धी उपकरणों के निर्माण में।

11. इसका उपयोग घरेलू उपयोग की वस्तुएं बनाने में भी किया जाता है, क्योंकि ऐसी वस्तुएं जहाँ जगह कम घेरती हैं वहीँ इनमे कम उर्जा खर्च होती है एवं सस्ती भी पड़ती है।

इलेक्ट्रॉनिक्स का महत्त्व Significance of Electronics

1. इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण अपेक्षकृत कम स्थान घेरते हैं।

2. इनके उत्पादन की लागत वे रख-रखाव का व्यय बहुत ही कम होता है।

3. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की निर्माण प्रक्रिया बहुत ही सरल है।

4. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की खराबियों व बारीकियों को दूर करना बहुत ही आसान है, क्योंकि ये अधिक सरलीकृत हैं।

5. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में उर्जा का व्यय बहुत ही कम है। जटिल से जटिल उपकरण अधिकतम 12 वोल्ट विद्युतधारा पर कार्य कर सकता है।

6. इन्हें बैटरी व विद्युत् (D.C. and A.C.) दोनों से चलाया जा सकता है। अतः अचानक बिजली चले जाने पर भी कोई समस्या नहीं होती है।

7. इनकी कार्य प्रणाली अधिक सरल व कम समय लेने वाली होती है, इसलिए ट्रैफिक सिग्नल आदि के क्षेत्र में इनका उपयोग बढ़ रहा है।

8. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से दृश्य व श्रव्य (Visual & Audio) दोनों प्रकार के संकेत लिए जा सकते हैं।

लेसर Laser

इसका पूर्ण शब्द विस्तार लाइट एम्पलीफिकेशन बाई स्टीमुलेटेड एमिशन ऑफ रेडिएशन (light amplification by stimulated emission of radiation)। इसकी खोज डॉ. चार्ल्स एच. टॅावेन्स और आर्थर लियोनार्ड शैलो (Charles Hard Townes and Arthur Leonard Schawlow) ने 1960 में की थी। इस प्रक्रिया द्वारा शक्तिशाली मोनोक्रोमेटिक प्रकाश किरण प्राप्त की जाती है जो वायु, गैस एवं कुछ द्रवों के पारदर्शी माध्यम मेँ चल सकती हैं एवं बिना किसी परिवर्तन (Defraction) के लंबी दूरी तक भेजी जा सकती हैं। यह पारदर्शी खिड़कियोँ से प्रक्षेपित की जा सकती हैं तथा इसे एक बिंदु पर केंद्रित कर बहुत अधिक ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है।

कार्यप्रणाली

यदि किसी अणु पर बाहरी ऊर्जा जैसे फोटोन आदि की बौछार की जाए तो अणु में उपस्थित इलेक्ट्रॉन उत्तेजित होकर अपनी उच्च कक्षा मेँ चला जाता है। यहाँ से पुनः काफी मात्रा मेँ ऊर्जा का उत्सर्जन करता है। इसी सिद्धांत पर लेसर किरणें उत्पन्न की जाती हैं। लेसर किरणों के उत्पादन के लिए रूबी रॉड (Ruby Rod) काम मेँ ली जाती है।

लेसर किरणों के गुण

1. लेसर किरणें किसी भी पारदर्शक वातावरण मेँ गमन कर सकने मेँ समर्थ हैं।

2. ये बिना ऊर्जा का क्षय किए काफी दूर तक गमन कर सकती हैं।

3. इन्हें एक स्थान पर केंद्रित करके काफी ऊष्मा उत्पन्न की जा सकती है।

4. इनसे उत्पन्न होने वाला प्रकाश कला सम्बद्ध (cohrent) प्रकाश होता है।

लेसर का उपयोग

1. किसी ठोस कठोर पदार्थ के पिघलाने, जलाने व वेल्डिंग में।

2. किसी पदार्थ या दूरस्थ वक्त की दूरी ज्ञात करने मेँ।

3. ध्वनि व चित्रों के संकेतों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाने मेँ।

4. चिकित्सा विज्ञान मेँ, विशेष रुप से बिना ऑपरेशन के शल्य चिकित्सा मेँ आजकल पथरी के निदान मेँ तथा कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए।

5. चिकित्सा विज्ञान मेँ शरीर की आंतरिक व्याधियोँ का पता लगाने के लिए।

द्रव क्रिस्टल Liquid Crystal

कैलकुलेटर, घड़ियों एवं अन्य उपकरणों में अंको को दर्शाने के लिए द्रव क्रिस्टलों का प्रयोग किया जाता है। द्रव क्रिस्टल, द्रव की संघनित अवस्था होती है। उपकरण मेँ गतिज प्रकीर्णन के समय विद्युत क्षेत्र के प्रभाव मेँ आकर ये क्रिस्टल चमककर दिखाई देते हैं।

रोबोट Robot

एक एसी स्वचालित मशीन है जो मानव की भांति काम करता है और उसके कार्यात्मक घटक भी मानव से बहुत कुछ मिलते जुलते हैं लेकिन आवश्यक नहीँ है की रोबोट का वाह्य स्वरूप मानव से मिलता जुलता हो, वास्तव मेँ यह एक प्रकार की मशीन है, जिसमेँ भुजा, पैर आदि के कार्य करने के लिए अनेक घटक होते हैं। रोबोट शब्द का सर्वप्रथम उपयोग चेकोस्लोवाकिया के प्रसिद्द नाटक लेखक कारेल कापैक (Karel Čapek) ने अपने नाटक रोससम्स यूनिवर्सल रोबोट्स (Rossum’s Universal Robots) मेँ किया था। यह शब्द चेक भाषा मेँ रोबोटा से लिया गया है जिसका अर्थ है- ‘बंधुआ मजदूर’।

औद्योगिक रोबोट

आजकल अलग अलग कार्योँ के लिए अलग-अलग प्रकार के रोबोट बनने लगे हैं। कारखानो मेँ काम करने के लिए औद्योगिक रोबोट विकसित कर लिया गये हैं। ये अनेक ऐसे कार्य कर सकते हैं, जिन्हें बलवान से बलवान व्यक्ति अपनी शारीरिक सीमाओं के कारण नहीँ कर सकता है। रोबोट्स सरलता से लोहे की तपती हुई छड़ को उठा सकता है, जबकि मनुष्य के लिए ऐसा करना असंभव है। रोबोट बिना थके अधिक क्षमता और तेजी के साथ काम कर सकता है। आर्थिक दृष्टि से यह अन्य मशीनों की तुलना मेँ बहुत लाभदायक सिद्ध हुआ है। अमेरिका, रुस, जापान, आदि विकसित देशों ने ऐसी\ रोबोट मशीनें बना ली हैं, जो वैज्ञानिक शोध कार्य भी कर सकती हैं। विश्व मेँ आज ऐसे रोबोट विकसित कर लिए गए हैं, जो सैनिक और व्यापारिक कार्यो मेँ प्रयोग किए जा रहे हैं। लगभग एक वर्ष पूर्व ‘कनिष्क यान’ के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद उसके ब्लैक बॉक्स को समुद्र की विशाल गहराइयों निकालने के लिए नाम स्कारैब नामक रोबोट (स्वचालित पनडुब्बी) का इस्तेमाल किया गया था। वैज्ञानिक अनुसंधानों के लिए ऐसे रोबोट विकसित हो गए हैं। जो रेडियोधर्मी वातावरण मेँ सरलता से काम कर सकते हैं। नाभिकीय भट्टियोँ मेँ भी रोबोटों का विकास कर लिया गया है। अंतरिक्ष अनुसंधानों के लिए अनेक प्रकार के रोबोट बना लिए गए हैं। जो दूरस्थ ग्रहों से धरती के वैज्ञानिकों को सूचनाएं भेजते हैं।

आज वैज्ञानिक और इंजीनियर अधिक से अधिक परिष्कृत रोबोटों का निर्माण करने का प्रयत्न कर रहे हैं, इनकी कार्यक्षमता मनुष्य से कहीँ अधिक है ही, मानसिक क्षमता मेँ भी ये मनुष्य को पीछे छोड़ते जा रहे हैं।

जापान की राजकीय संस्थान ने एक ऐसा रोबोट तैयार किया है, जो दूरसंवेदी युक्तियोँ की सहायता से दीवार पर भी चढ़ाया जा सकता है। यह रोबोट मकड़ी की भांति दीवार पर चढ़ जाता है। इसका नाम स्पाइडर मार्क-111 रखा गया है। समझा जाता है कि इसका प्रयोग उन स्थलों पर किया जाएगा जो मनुष्य के लिए खतरनाक समझे जाते हैं। यह ऊंची दीवारो मेँ आने वाली दरारों का पता लगा सकेंगा तथा सफाई भी कर सकेगा।

कैट स्कैनर  CAT Scan

CAT शब्द कंप्यूटराइज्ड एक्सियल टोमोग्राफी (computerized axial tomography) का संक्षिप्त रुप है। इसका उपयोग केवल रोग के निदान के लिए ही नहीँ बल्कि उसके सही इलाज का पता लगाने के लिए भी किया जाता है। कैट स्कैनर का आविष्कार ब्रिटिश भौतिकशास्त्री डॉ. हाउसफील्ड और अमेरिकी भौतिकशास्त्री कोरमैक (Godfrey Hounsfield of EMI Laboratories, England and by South Africa-born physicist  Allan McLeod Cormack of Tufts University, Massachusetts) मेँ सन 1972 मेँ किया था, जिस पर उन्हें 1979 मेँ आयुर्विज्ञान (Medicine) का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। इस यंत्र के आविष्कार से पहले रोग का पता लगाने के लिए कई प्रकार से शरीर के एक्स-रे कराने पड़ते थे तथा ऐसे परीक्षणों मेँ शारीरिक कष्ट के साथ-साथ खतरा भी होता था। कैट-स्कैनर से केवल एक ही परीक्षण से रोगोँ का पता चल जाता है और सफल इलाज किया जा सकता है। इसमेँ न शारीरिक कष्ट होता है और न खतरा।

कैट स्कैनर वास्तव मेँ एक्स-रे उपकरण का ही एक विकसित रुप है जिसमे तीन विमाओं वाले त्रि-आयामी चित्र प्राप्त होते है, अर्थात चित्र लंबाई, चौड़ाई के साथ ही गहराई या मोटाई या ऊंचाई को दर्शाते हैं। इस उपकरण मेँ एक एक्स-रे स्रोत होता है, बीच मेँ रोगी के लिए मोटर चालित स्ट्रेचर होता है और उसके दूसरी और एक डिटेक्टर नामक यंत्र होता है। डिटेक्टर एक कंप्यूटर से सम्बद्ध होता है और कंप्यूटर एक टीवी स्क्रीन से जुडा होता है। कंप्यूटर के गणित सूत्र और चित्र टीवी स्क्रीन पर चित्रित होते रहते हैं। स्कैन हो रहे क्षेत्र से गुजर कर एक्स-रे डिटेक्टर तक पहुंचती हैं। डिटेक्टर इन्हें विद्युत संकेतों के रुप मेँ कंप्यूटर तक पहुंचाता है। कंप्यूटर प्राप्त संकेतो को गणित सूत्र का प्रयोग करते हुए चित्र का रुप देखकर टीवी स्क्रीन पर उभारता है। भिन्न-भिन्न उतक अपने घनत्व (लंबाई, चौड़ाई, मोटाई) के अनुसार स्पष्ट रुप से स्क्रीन पर दिखाई देते हैं।

कैट स्कैनर दो प्रकार के होते हैं। पहला हेड स्कैनर, जो मस्तिष्क मेँ ट्यूमर, सर की चोट की वजह से रक्त स्राव या ब्रेन हैमराज की आदि मेँ प्रयोग में आता है। दूसरा बॉडी स्कैनर होता है, जो अपेक्षाकृत बहुत बड़ा होता है तथा शरीर के अन्य भागोँ का परीक्षण करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

इलेक्ट्रान तथा कैथोड किरणें

सामान्य दाब पर गैसे प्रायः विद्युत् कुचालक होती (Non Conductor of Electricity) हैं। परन्तु यदि गैस का दाब काफी कम कर दिया जाए तो उनमेँ विद्युत धारा प्रवाहित हो सकती है। एक बंद नली जिसे विसर्जन नली (discharge tube) कहते हैं, में न्यूनीकृत दाब पर विद्युत विसर्जन (Electric discharge) करने पर नली के ऋणोंद (Cathod) से नीली दीप्ति के रुप मेँ एक प्रकार के कणों का पुंज निकलता है। 1876 में गोल्डस्टाइन (Eugen Goldstein Kathodenstrahlen) ने इसका नाम कैथोड किरणें रखा। वास्तव में इन किरणों को पहली बार 1869 में जर्मन भौतिकशास्त्री जोहान हित्तार्फ़ (Johann Hittorf) द्वारा देखा गया था। ये किरणें कैथोड से एनोड की ओर सीधी रेखा मेँ चलती हैं तथा काँच, जिंक सल्फाइड अथवा बेरियम प्लेटिनो साइनाइड के पर्दे पर पड़ने से चमक उत्पन्न करती हैं। उच्च गलनांक के धातु से कैथोड किरणें टकराने से एक्स-किरणें उत्पन्न होती हैं।

रेडियोऐक्टिवता Radioactivity

कुछ तत्व स्वतंत्र अवस्था मेँ अधिक समय तक नहीँ रह सकते वह धीरे धीरे अन्य तत्वों में बढता जाते हैं। हेनरी बेकुरल (Antoine Henri Becquerel) ने पता लगाया था कि युरेनियम धातु और उसके लवणों से एक विशेष प्रकार की अदृश्य किरणें निकलती हैं। ये किरणें धातुओं की पतली चादर से पार निकल जाती हैं। गैस को आयनित कर देती हैं, जिंक सल्फाइट में प्रदीप्त उत्पन्न कर देती हैं। इन किरणों को बेकुरल किरणें कहा गया। मैडम क्यूरी तथा उनके पति पियरे क्यूरी ने देखा कि इस प्रकार का गुण यूरेनियम के खनिज पिच ब्लेण्ड से प्राप्त तत्व रेडियम तथा पॉलोनियम बहतु अधिक है। बेकुरल किरणों को उत्सर्जित करने वाले तत्वों को रेडियोएक्टिव तत्व कहा गया। इस गुण को रेडियोऐक्तिवता कहते हैं।

1902 मेँ लार्ड रदरफोर्ड ने बेकुरल किरणों का अध्यन किया। उन्होंने शीशे के चौकोर बर्तन मेँ रेडियोएक्टिव पदार्थ का एक टुकड़ा रखा। इससे निकलने वाली सभी किरणों को एक विद्युत क्षेत्र मेँ से गुजरने दिया। कुछ किरणें ऋण आवेशित प्लेट की ओर मुड़ जाती हैं (β-किरणें), कुछ धन आवेशित प्लेट की ओर मुड़ती हैं (α-किरणें) और कुछ सीधी चली जाती हैं (γ-किरणें)। प्रत्येक रेडियोएक्टिवता न्यूक्लीय गुण है। प्रत्येक पदार्थ से ये तीनों किरणें नहीँ निकलतीं। कुछ पदार्थों से केवल α-अल्फा और γ-गामा किरणें ही निकलती हैं जबकि कुछ से केवल बीटा- β और गामा- γ किरणें ही निकलती हैं।

अल्फा किरणें α-Rays

रेडियोएक्टिव पदार्थ से निकली ऋण आवेशित प्लेट की और मुड़ने वाली किरणें अल्फा किरणें हैं। इनके निम्नलिखित गुण हैं-

1. ये चुंबकीय तथा विद्युत क्षेत्र से विक्षेपित हो जाती हैं इनके विक्षेप की दिशा से ज्ञात होता है कि यह धनावेशित हैं।

2. इन किरणों के प्रत्येक कण पर आवेश दो इलेक्ट्रानों के आवेश के बराबर धन आवेश होता है तथा द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु या प्रोटोन के द्रव्यमान का चौगुना होता है| अर्थात प्रत्येक कण दो प्रोटोन तथा दो न्यूट्रान का बना होता है अतः अल्फा कण हीलियम नाभिक के अनुरूप होते है।

3. इन किरणों की भेदन क्षमता बहुत कम होती है।

4. इन किरणों में गैसों को आयनीकृत करने की क्षमता बहुत अधिक होती है।

5. ये किरणें कुछ पदार्थ जैसे हीरे, जिंक सल्फाइड आदि पर पड़कर प्रदीप्ति उत्पन्न करती हैं।

6. इनका वेग प्रकाश के वेग के 1/10 के क्रम का होता है।

बीटा किरणें β-Rays

रेडियोएक्टिव पदार्थ से निकली हुई धनावेशित प्लेट की ओर मुड़ने वाली किरणें β-किरणें कहलाती हैं। इनके निम्नलिखित गुण हैं-

1. कैथोड किरणों के समान ये किरणें इलेक्ट्रानों से बनी होती हैं।

2. ये किरणें चुम्बकीय तथा विद्युतीय क्षेत्र में विक्षेपित हो जाती हैं।

3. ये किरणें न्यूट्रान के टूटने से बनती हैं। β-कण के रूप में इलेक्ट्रान उत्सर्जित होते हैं तथा प्रोटान बचा रहता है।

4. इनमे गैसों को आयनित करने की क्षमता अल्फा (α) किरणों से कम होती है।

5. इनका वेग प्रकाश के वेग के क्रम का होता है।

गामा किरणें γ-Rays

चुम्बकीय क्षेत्र में विक्षेपित न होकर सीधी जाने वाली किरणें गामा किरणें हैं। इनके निम्नलिखित गुण हैं-

1. इनका स्वरुप तरंगों के समान होता है। इनमे द्रव्यमान होता है और न ही आवेश।

2. ये किरणें विद्युत् तरंगों के समान दूरभेदी होती हैं। इनकी भेदन क्षमता अल्फा और बीटा किरणों की अपेक्षा तीव्र होती है। ये लोहे की 30 सेमीं तक की तह को भेद देती हैं।

3. ये किरणें विद्युत् क्षेत्र या चुम्बकीय क्षेत्र में विपेक्षित नहीं होती है। इनमे गैसों को आयनित करने की क्षमता बहुत कम होती है।

4. इन किरणों का वेग प्रकाश के वेग के बराबर होता है।

अवरक्त किरणें Infrared Rays

सूर्य के प्रकाश मेंसात रंगों के अतिरिक्त अन्य किरणें जो अदृश्य होती हैं, अवरक्त किरणें कहलाती हैं। ये अवरक्त किरणें लाल रंग से अधिक तरंगदैर्ध्य वाली होती हैं। इनके निम्नलिखित गुण होते हैं-

1. इनका तरंगदैर्ध्य दृश्य क्षेत्र की तरंगदैर्ध्य से अधिक होता है।

2. इन किरणों का तापीय प्रभाव अधिक होता है।

3. इन किरणों में उर्जा अधिक होती है।

एक्सिऑन- नया परमाण्विक कण

नये क्वांटम डायनामिक्स सिद्धांत तथा विद्युत् चुम्बक के पुराने क्वांटम सिद्धांत की अंश क्रिया के फलस्वरूप 1970 के दशक में भौतिक शास्त्रियों ने गणनाओं के आधार पर यह निष्कर्ष निकला था की परमाणु में एक नया प्राथमिक अं और उपस्थित होना चाहिए। यह भी अनुमान लगाया गया कि यह कण अत्यंत हलके इलेक्ट्रान से भी कहीं हल्का पर अत्यंत तीव्र प्रवेशन क्षमता वाले, न्यूट्रानों से भी अधिक क्षमता वाला होना चाहिए। इसका नाम एक्सिऑन रखा गया।

यद्यपि अभी तक वैज्ञानिकों को अपने प्रयोगों में एक्सिऑन नहीं मिला है पर उनका मत है ब्रह्माण्ड के लुप्त द्रव्य का कारण एक्सिऑन है। उनके इस प्रकार सोचने का कारण कदाचित यह है कि ब्रह्माण्ड में उपस्थित कुल द्रव्य उसके प्रसार, जो उसके निर्माण के तुरंत बाद आरम्भ हो गया था, को रोकने में असमर्थ रहा।

पहले यह समझा जाता था की ब्रह्माण्ड का लुप्त द्रव्य न्यूट्रिनो कण के रूप में मौजूद है। इस बारे में वैज्ञानिकों का यह भी मत था की वास्तव में न्यूट्रिनो इतने भार हीन नहीं हैं जितना समझा जाता है, परन्तु अब ये न्यूट्रिनो के स्थान पर एक्सिऑन  को लुप्त द्रव्य का कारण मानने लगे हैं।

पराश्रव्य ध्वनि Ultrasonic Sound

यह ध्वनि उर्जा का रूप है जो किसी पिंड में आवर्ती कम्पन से उत्पन्न होती है और तरंग गति के रूप में विचरण करती है। इसके संचरण के लिएऐसे द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है, जो अवतरित और प्रत्यास्थ (Elastic) हो। प्रश्रव ध्वनि विज्ञान (Acoustics) की वह शाखा है, जिनमे उन ध्वनि आवृतियों (Sound Frequencies) पर विचार किया जाता है जी श्रव्य परास से ऊँची हो, अर्थात जिनकी आवृत्ति 20 किलो साइकिल या उससे अधिक हो।

1935 से पूर्व इस विषय का नाम साधारण रूप से पराध्वनिक (Supersonic) था, लेकिन बाद में उच्च आवर्ती ध्वनि के लिए पराश्रव्य (Ultrasonic) शब्द अधिक प्रचलित हो गया, क्योंकि सुपरसोनिक शब्द को अनेक अर्थों में इस्तेमाल किया जाने लगा। सुपरसोनिक शब्द को उस गति के लिए काम में लाया जाता है जो ध्वनि के वग से अधिक हो।

पराश्रव्य के जनन के लिए मुल्ता एक ट्रांसड्यूसर (Transdusar) और निवेश (Input) के लिए उपयुक्त वोल्टता पूर्ति की आवश्यकता पड़ती है। ट्रांसड्यूसर एक ऐसी युक्ति है, जिसके द्वारा के विभिन्न रूपों को उच्च आवर्ती ध्वनि तरंगों में परिवर्तित किया जाता है। आजकल क्वार्टज़ और रोशेल लवण के क्रिस्टल सर्वाधिक विख्यात और सबसे अधिक काम में लाये जाते हैं। यदि क्रिस्टल पर प्रत्यावर्ती विद्युत् क्षेत्र का प्रभाव डाला जाए, तो क्रिस्टल विकृत हो जाता है और इसलिए वह प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति को उन्मुक्त करने लगता है, जोकि क्रिस्टल की प्राकृतिक आवृत्ति के बराबर होती है। अनुनाद (resonance) के कारण यह उच्च दोलन आयाम (Vibration amplitude) प्रेषित करता है।

होलोग्राफी Holography

होलोग्राफी का शाब्दिक अर्थ सम्पूर्ण रिकॉर्ड है। इस तकनीक से किसी वस्तु का न केवल सच्चा प्रतिविम्ब रिकॉर्ड होता है, वरन वह मूल वस्तु का अत्यधिक सटीक चित्र भी होता है।साथ ही होलोग्राफी से फोटोग्राफिक प्लेट पर वस्तु का स्थायी चित्र बन जाता है। निश्चय ही यह प्रचलित फोटोग्राफी तकनीक से एकदम भिन्न है। यह एक महँ खोज थी। व्यतिकरण द्वारा त्रिविमीय प्रतिविम्ब करने की सफलता लेसर किरणों के संसक्त प्रकार के उपलब्ध हो जाने पर ही मिली। पर आजकल साधारण (असंसक्त) प्रकाश से ही होलोग्राफ प्राप्त कर लिए जाते हैं, यद्यपि इनके लिए जटिल उपकरणों की आवश्यकता होती है।

यद्यपि त्रिविमीय होलोग्राफी अभि तक अपनी आरंभिक अवस्था में है पर उसे अनेक कामों के लिए प्रयुक्त किया जा रहा है। इन्टरफेरोमेट्री (Interferometry)  में उसका सफलतापूर्वक उपयोग किया जाता रहा है। इन्टरफेरोमेट्री में व्यतिकरण (interference) की सहायता से ठोस द्रव और गैसीय पदार्थों के गुणों का अध्ययन किया जाता है। इस तकनीक से होलोग्राफी के इस्तेमाल से इतने सटीक नतीजे प्रप्थोते हैं, जो किसी अन्य विधि से प्राप्त नहीं होते है। होलोग्राफी और इन्टरफेरोमेट्री का उपयोग करके विस्फोट, क्षरण प्लाज्मा अवस्था आकदी का अध्ययन किया जा सकता है। लेसर किरणों के उपयोग से अत्यंत कम समय (सेकेण्ड के अरबवें भाग से भी कम समय) में होलोग्राम प्राप्त हो जाता है, इसलिए होलोग्राम की मदद से उन क्रियाओं का भी भली-भांति अध्ययन किया जा सकता है जो अत्यंत तीव्र गति से चलती हैं। होलोग्राफी से संभाव्य बहुत अधिक हैं। इसकी मदद से कंप्यूटर की (key) में, प्रकाश पैटर्नों के रूप में जानकारी भरी जा सकती है।

हाईजेनबर्ग का अनिश्चितता का सिद्धांत Heisenbarg’s Uncertainity Principle

इस सिद्धांत के अनुसार किसी छोटे कण या इलेक्ट्रान का स्थान (Position) तथा संवेग (Momentum) दोनों का वास्तविक ज्ञान असंभव है, क्योंकि जब इलेक्ट्रान कण के समान व्यवहार करता है, तो इसके स्थान का निर्धारण किया जा सकता है, परंतु वेग व संवेग अनिश्चित होता है। जब यह एक तरंग के रूप में व्यवहार करता है, तब इसका वेग व संवेग निर्धारित किया जा सकता है, परन्तु तब इसका स्थान अनिश्चित होगा। इसे निम्नलिखित प्रकार से व्यक्त लिया जा सकता है-

(Δx) (Δp) = h/2π

जबकि Δx के स्थान सम्बन्धी अनिश्चितता तथा Δp संवेग सम्बन्धी अनिश्चितता है।

इसी प्रकार Δx कम हो तो इलेक्ट्रान के स्थान का निर्धारण किया जा सकता है, परन्तु संवेग सम्बन्धी अनिश्चितता बढ़ जाएगी और संवेग निर्धारण के स्थान में निर्धारण की अनिश्चितता बढ़ेगी।

अनुगमन वेग Drift Velocity

जब चालक को सेल या बैटरी के सिरे से जोड़ दिया जाता है, तो विद्युत् वाहक बल (वि.वा.ब. Electro Motive force) के कारण चालक के प्रत्येक बिंदु परएक समान विद्युत् क्षेत्र स्थापित हो जाता है और तब स्वतंत्र इलेक्ट्रान पर बल लगता है। इलेक्ट्रान रहित परमाणु (धन आयन) अपनी संतुलित स्थिति के इधर-उधर कम्पन करने लगते हैं तथा स्वतंत्र इलेक्ट्रान इनसे टकराते रहते हैं। विद्युत् क्षेत्र लगाने से इलेक्ट्रानों की अनियमित गति के साथ-साथ विद्युत् क्षेत्र की विपरीत दिशा में इनका अनुगमन होने लगता है। अयन से टकराने से पहले इनका वेग अधिकतम तथा टकराने के ठीक बाद, क्षण भर के लिए इनका वेग शून्य हो जाता है। इस प्रकार की टक्करों को अप्रत्यास्थ टक्कर (inelastic collision) कहते हैं। विद्युत् क्षेत्र लगाने के बाद क्षेत्र किम दिशा के विपरीत दिशा में स्वतंत्र इलेक्ट्रानों का औसत वेग अनुगमन वेग (drift velocity) कहलाता है। इसे ‘u’ से प्रदर्शित करते हैं तथा इसका मान 1 सेमी. प्रति सेकंड या इससे भी कम होता है। जिस प्रकार सामान्यतः वायु के कण अनियमित रूप से गतिमान रहते है, परन्तु दबांतर के कारण परस्पर टकराते हुए भी इनका अनुगमन होता है, जिसके फलस्वरूप वायु प्रवाह होता है। ठीक इसी प्रकार स्वतंत्र इलेक्ट्रान अनियमित रूप से गतिमान रहते है, परन्तु विभवान्तर के कारण परस्पर टकराते हुए भी इनका अनुगमन होता है, जिसके फलस्वरूप धारा का प्रवाह होता है। अतः बैटरी का विभवान्तर इलेक्ट्रानों को त्वरित गति नहीं प्रदान कर पाता, वरन यह उन्हें तार की लम्बाई की दिशा में एक छोटा नियत वेग (अनुगमन वेग) ही दे पाता है, जो की इलेक्ट्रानों की अनियमित गति के ऊपर आरोपित रहता है। इस अनुगमन वेग के कारण ही धारा का प्रवाह, उर्जा का स्थानान्तरण तथा चुम्बकीय क्षेत्र की उत्पत्ति होती है।

उभय वर्तन Double Refraction

जब प्रकाश की किरणें कैलसाइट अथवा क्वार्ट्ज (Calcite or Quartz Crystal) तब दो किरणों में विभाजित हो जाती। अतः यदि किसी बिंदु को इन क्रिस्टलों में सी होकर देखा जाए हैं, तो उसके दो प्रतिविम्ब प्राप्त होंगे, प्रकाश की एक किरण के किसी विशेष क्रिस्टल में जाने पर दो भागों में वोभाक्त होना उभय वर्तन (Double Refraction) कहलाता है। इसके अतिरिक्त इन निर्गत किरणों के अध्ययन से यह पता लगता है कि, इनमे से एक किरण अपवर्तन के नियम का पालन करती है परन्तु दूसरी नहीं। जो किरण अपवर्तन के नियम का पालन करती है उसे साधारण तथा जो अपवर्तन के नियम का पालन नहीं करने वाली किरण को असाधारण (Extraordinary) किरण कहते हैं।

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हिंदी करेंट अफेयर्स प्रश्नोत्तरी : 9 फरवरी 2018

हिंदी करेंट अफेयर्स प्रश्नोत्तरी : 9 फरवरी 2018

1. हाल ही में ‘बालासाहेब ठाकरे शहीद संमान’ योजना किस राज्य में शुरू की गई है?

‘बालासाहेब ठाकरे शहीद संमान’ योजना महाराष्ट्र में शुरू की गई है| इस योजना के अंतगर्त शहीदों के परिवार के सदस्यों को महाराष्ट्र राज्य सडक परिवहन निगम द्वारा नौकरी प्रदान की जायेगी|

2. हाल ही में “नानाजी देशमुख कृषि संजीवनी” परियोजना किस राज्य में शुरू की गई है?

“नानाजी देशमुख कृषि संजीवनी” परियोजना महाराष्ट्र में शुरू की गई है| इस योजना के तहत मिट्टी की गुणवता में सुधार लाकर खाघान्नों की किस्मों को विकसित करना है| यह योजना कृषि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई है|

3. हाल ही में किस महिला खिलाडी ने सीएट के साथ दो वर्ष का अनुबंध किया है?

भारतीय क्रिकेट टीम की महिला महिला खिलाडी हरमनप्रीत कौर ने सीएट के साथ दो वर्ष का अनुबंध किया है| हरमनप्रीत सीएट के अनुबंध करने वाली पहली भारतीय महिला खिलाडी है| पुरुष क्रिकेटरों में रोहित शर्मा, अजिंक्य रहाणे जैसे बल्लेबाजों ने सीएट से अनुबंध किया है। हरमनप्रीत ने 2017 विश्व कप में आॅस्ट्रेलिया के खिलाफ 171 रन की पारी खेली थी। वे महिला बिग बैश लीग में खेलने वाली पहली भारतीय क्रिकेटर भी हैं।

4. साबर कोटी कौन थे?

साबर कोटी प्रसिद्ध पंजाबी गायक थे| इन्होनें 1996 में हिट ‘सोने दिया कंगना’ से गायकी का सफर शुरू किया था। इनके द्वारा गाया गया ‘आेह मौसम वांगू बदल गए जी, असी रुक्खां वांगू खड़े रहे’ गाना बहुत प्रसिद्ध हुआ था| हाल ही में इनका निधन हो गया है|

5. सरदार जोध सिंह कौन थे?

सरदार जोध सिंह जेआईएस ग्रुप के चेयरमैन और फाउंडर थे| जोध सिंह को कर्तव्यनिष्ठा व देशभक्ति के कारण बाबूजी नाम से पुकारा जाता था| हाल ही में इनका निधन हो गया है|

6. हाल ही में पद्मश्री पुरस्कार से किसे सम्मानित किया गया है?

पद्मश्री पुरस्कार से जयपुर के शाहपुरा स्थित त्रिवेणी धाम के पीठाधीश्वर नारायण दास महाराज को सम्मानित किया गया है| नारायण दास जी महाराज को यह पुरस्कार अध्यात्म के क्षेत्र में किये गए महत्वपूर्ण कार्यों के लिए दिया गया है|

7. हाल ही में शौर्य चक्र से किसे सम्मानित किया गया है?

शौर्य चक्र से झुंझुनू के कमांडो मुबारिक अली को सम्मानित किया गया है| मुबारिक को यह सम्मान तीन आतंकियों को मारने के लिए दिया गया है| इन्होनें सीने और हाथ में गोली लगने के बावजूद एक हाथ से फायर कर तीन आतंकियों को मार गिराया था|

8. धर्मगुरु दलाई लामा के डॉक्टर यशी डोंडन को किस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है?

धर्मगुरु दलाई लामा के डॉक्टर यशी डोंडन को पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है| डोंडन को यह पुरस्कार इनकी तिब्बती आयुर्वेद पद्धति में हासिल की गई उपलब्धियों के लिए दिया गया है|

9. हाल ही में सिनूलोग परेड किस देश में निकाली जा रही है?

सिनूलोग परेड फिलीपींस में निकाली जा रही है| इस परेड में लोग चाइल्ड जीसस का स्टैच्यू लेकर चलते है| यह परेड प्रतिवर्ष चाइल्ड जीसस के फिस्ट डे पर निकाली जाती है|

10. हाल ही में डायनासोर के बड़े-बड़े स्कलपचर्स कहाँ पर तैयार किये गए है?

डायनासोर के बड़े-बड़े स्कलपचर्स चीन के प्रांत हेनान के शहर सान्या के ‘हायतांग बे राइस पैडी पार्क’ में तैयार किये गए है| यहां 323 ऐसे स्कल्पचर्स तैयार किये गए है| हाल ही में इस पार्क को आम लोगों के लिए खोल दिया गया है|

 

 

 

Capsule - 01-07 फरवरी 2018

Capsule - 01-07 फरवरी 2018

अति महत्वपूर्ण

केंद्रीय आम बजट 2018-19

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2018-19 का आम बजट संसद में पेश किया. वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद यह पहला बजट है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार का यह पांचवां और लोकसभा चुनाव से पहले आखिरी पूर्ण बजट है. इस वर्ष भी रेल बजट अलग से पेश नहीं किया गया, क्योंकि वित्त वर्ष 2017-18 से ही रेल बजट को आम बजट में शामिल कर दिया गया है.

इस बजट में, वित्त मंत्री ने मुख्य रूप से किसानों की आय बढाने के साथ-साथ रोजगार सृजन, चिकित्सा सुबिधा, शिक्षा, विकास दर और वित्तीय अनुशासन पर ध्यान दिया है.

स्पेसएक्स का रॉकेट ‘फॉल्कन हैवी’ मंगलग्रह के लिए लॉन्च

अमेरिका की प्राइवेट स्पेस कंपनी स्पेसएक्स ने अपना ‘फॉल्कन हैवी’ रॉकेट 6 फ़रवरी को कैनरेवल में कैनेडी स्पेस सेंटर से प्रक्षेपित किया गया.. ‘फॉल्कन हैवी’ को दुनिया का सबसे शक्तिशाली रॉकेट माना जा रहा है. यह निजी क्षेत्र द्वारा प्रक्षेपित दुनिया का पहला रॉकेट है जिसे मंगलग्रह की कक्षा में चक्कर लगाने के लिए भेजी गई है. तेईस मंजिले फाल्कन हैवी रॉकेट को उसी स्थान से प्रक्षेपित किया गया, जहां से चालीस साल पहले अपोलो मिशन पर पांच रॉकेट भेजे गये थे.

‘फॉल्कन हैवी’ से आने वाले वक्त में लोगों को चांद और मंगल पर भेजा जा सकता है. फिलहाल, इसमें फ्यूचर का स्पेस सूट पहने एक पुतला और कंपनी के मालिक एलन मस्क की चेरी रेड कलर की ‘टेस्ला रोड्स्टर’ कार भेजी गयी है. यह मंगल की ऑर्बिट में पहुंचने के बाद 11 किलोमीटर/सेकंड की रफ्तार से चलेगा.

अग्नि-1 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल प्रक्षेपण

भारत ने 6 फ़रवरी को परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम अग्नि-1 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडिशा तट के पास ‘डॉ अब्दुल कलाम द्वीप’ पर एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) के पैड 4 पर मोबाइल लॉन्चर से से किया गया. ‘डॉ अब्दुल कलाम द्वीप’ को पहले व्हीलर आईलैंड के नाम से जाना जाता था. इस मिसाइल का परीक्षण संचालनात्मक तैयारी को मजबूत करने के लिए सेना की ‘स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड’ (एसएफसी) की समय-समय पर की जाने वाली प्रशिक्षण गतिविधि के तहत किया गया.
अग्नि-1: एक दृष्टि

मारक क्षमता 700 किलोमीटर से अधिक है और सतह से सतह पर मार करने में सक्षम है.यह मिसाइल परमाणु आयुध ले जाने में भी सक्षम है.12 टन वजनी और 15 मीटर लंबी यह मिसाइल 1000 किलोग्राम तक का पेलोड ले जा सकती है.ठोस रॉकेट प्रणोदक प्रणाली निर्देशित मिसाइल है और यह विशेष नेविगेशन प्रणाली से युक्त है.यह मिसाइल पहले ही सशस्त्र बलों में शामिल की जा चुकी है.

निर्माण: अग्नि-एक को देश में ही एडवांस्ड सिस्टम्स लैबोरेटरी (एएसएल) ने रक्षा अनुसंधान विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल) और अनुसंधान केंद्र इमारत (आरसीआई) के सहयोग से विकसित किया है. मिसाइल को भारत डायनामिक्स लिमिटेड, हैदराबाद ने समेकित किया है. एएसएल मिसाइल विकसित करने वाली डीआरडीओ की प्रमुख प्रयोगशाला है.

आईसीसी अंडर-19 विश्व कप टीम में भारत के पांच खिलाड़ी

आईसीसी की घोषित अंडर-19 विश्व एकादश टीम में भारत के पांच खिलाड़ी शामिल किये गये हैं. विश्व एकादश में भारतीय बल्लेबाजी क्रम में शीर्ष तीन बल्लेबाज कप्तान पृथ्वी शॉ, मनजोत कालरा और शुभमान गिल को शामिल किया हैं. इनके अलावा बायें हाथ के स्पिनर अंकुल राय और तेज गेंदबाज कमलेश नागरकोटी को भी विश्व टीम में जगह मिली है. उल्लेखनीय है कि भारत ने न्यूजीलैंड के माउंट माउनगुनई में खेले गये फाइनल में आस्ट्रेलिया को आठ विकेट से हराकर अंडर-19 विश्व कप जीता था.

प्रधानमंत्री द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘एग्ज़ाम वारियर्स’ का लोकार्पण

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने 3 फ़रवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘एग्ज़ाम वारियर्स’ का लोकार्पण किया. परीक्षा के दौरान बच्चों में होने वाले तनाव के सन्दर्भ में यह पुस्तक लिखी गयी है. न्यू इंडिया के युवाओं के सपनों को बिना तनाव के पंख लगाने में मददगार ये किताब नरेंद्र मोदी एप पर भी पढ़ी जा सकती है.

भारत बना रिकार्ड चौथी बार अंडर-19 विश्वकप क्रिकेट चैंपियन

भारत अंडर-19 विश्व कप क्रिकेट का विजेता बन गया है. 3 फ़रवरी को न्यूजीलैंड के माउंट माउंगानुई (बे ओवल मैदान) में खेले गये इस प्रतियोगिता के फाइनल में भारतीय क्रिकेट टीम ने ऑस्ट्रेलिया को 8 विकेट से पराजित कर दिया. भारतीय गेंदबाजों ने उम्दा प्रदर्शन करते हुए आस्ट्रेलिया को 216 रन पर आउट कर दिया. जवाब में भारत ने सिर्फ दो विकेट खोकर 38.5 ओवर में लक्ष्य हासिल कर लिया.

भारतीय टीम के अनुकूल रॉय वर्ल्ड कप टूर्नामेंट के दौरान सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले पहले भारतीय बन गए हैं. मनजोत कालरा को फाइनल में ‘मैन ऑफ द मैच’ और शुभमन गिल को ‘मैन ऑफ द टूर्नामेंट’ से नवाजा गया.

भारत रिकार्ड चौथी बार अंडर-19 विश्व कप क्रिकेट का विजेता बना है. भारत ने वर्ष 2012 में उन्मुक्त चंद की अगुवाई में यह खिताब जीता था. विराट कोहली ने 2008 और मोहम्मद कैफ ने 2000 में खिताबी जीत दिलाई थी.

अंडर-19 भारतीय टीम: पृथ्वी शॉ ( कप्तान), शुभमन गिल, मनजोत कालरा, अभिषेक शर्मा, रियान पराग, हार्विक देसाई, शिवम मावी, कमलेश नागरकोटी, ईशान पोरेल, अनुकूल राय, शिवा सिंह. राहुल द्रविड़ भारतीय टीम के कोच है.

स्कोर्पीन पनडुब्बी ‘करंज’ का जलावतरण

भारतीय नौसेना ने स्कॉर्पीन श्रेणी की तीसरी पनडुब्बी आईएनएस ‘करंज’ का 31 जनवरी को जलावतरण किया. आईएनएस करंज को मुंबई मझगांव डॉक पर जलावतरण किया गया. कलवरी और खंडेरी के बाद ‘करंज’ नौसेना की स्कॉर्पिन श्रेणी की तीसरी पनडुब्बी है.

आईएनएस करंज एक स्वदेशी पनडुब्बी है, जो ‘मेक इन इंडिया’ के तहत तैयार की गई है. ‘करंज’ 67.5 मीटर लंबी, 12.3 मीटर ऊंची, 1565 टन की है. ये पनडुब्बी फ्रांस की बड़ी जहाज निर्माता कंपनी के सहयोग से बनाई गई हैं.

करंज की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह किसी भी रडार की पकड़ में नहीं आ सकती. समुद्र के नीचे ही नहीं बल्कि इससे जमीन पर भी आसानी से सटीक निशाना साधा जा सकता है. पनडुब्बी में ऑक्सीजन खत्म होने की स्थिति में इसमें ऑक्सीजन बनाने की भी क्षमता है. इस वजह से इसमें लंबे समय तक पानी में रहा जा सकता है. ‘करंज’ टॉरपीडो और एंटी शिप मिसाइलों से हमले भी कर सकती है. इसमें सतह पर पानी के अंदर से दुश्‍मन पर हमला करने की खासियत भी है.

राष्ट्रीय घटनाक्रम

अधिनियम 1955 की समीक्षा के लिए नई संवैधानिक पीठ

उच्‍चतम न्‍यायालय असम में बांग्‍लादेशी शरणार्थियों को नागरिकता देने की नियत तिथि और नागरिकता अधिनियम 1955 के विभिन्‍न प्रावधानों की वैधता की जांच के लिए नई संवैधानिक पीठ का गठन करेगा. यह मामला प्रधान न्‍यायाधीश दीपक मिश्र और न्‍यायमूर्ति ए एम खानविलकर की पीठ के सामने सुनवाई के लिए आया था. अप्रैल 2017 में 5 जजों की पीठ ने कहा था कि वह‍ नागरिकता अधिनियम की धारा 6 ए की संवैधानिक वैधता से संबंधित 13 सवालों पर विचार करेगी. इन्‍हें दिसबंर 2014 में दो जजों की पीठ ने विचार के लिए पांच जजों की पीठ को भेजा था. अधिनियम की धारा 6 ए असम समझौते में शामिल लोगों की नागरिकता के लिए विशेष प्रावधानों से संबंधित है.

विदेश मंत्री की नेपाल यात्रा

विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज नेपाल की सद्भावना यात्रा सफलतापूर्वक संपन्‍न कर 3 फ़रवरी को’ स्‍वदेश लौट आई. नेपाल में तीन स्‍तरीय ऐतिहासिक चुनाव के सफलतापर्वूक संपन्‍न होने के बाद भारत की ओर से यह पहली उच्‍चस्‍तरीय यात्रा थी. काठमांडू प्रवास के दौरान श्रीमती स्‍वराज ने विभिन्‍न राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात की. दोनों पक्षों ने भारत तथा नेपाल के बीच विशेष मित्रता को और मजबूत करने पर जोर दिया.

बैठक के बाद सीपीएन (माओवादी केंद्र) के अध्यक्ष पुष्पा कमल दहल प्रचंड ने कहा कि नेपाल में राजनीतिक स्थिरता और विकास के लिए पड़ोसीयों के सहयोग की आवश्‍यकता है और श्रीमती स्वराज ने इसमें भारत के पूर्ण समर्थन का आश्‍वासन दिया है. विदेश मंत्री ने अपनी यात्रा के दूसरे दिन प्रधान मंत्री शेर बहादुर देउबा और संघीय समाजवादी फोरम नेपाल के अध्यक्ष उपेंद्र यादव से भी बातचीत की. उन्होंने राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से शिष्‍टाचार मुलाकात की और भारत-नेपाल के बीच बहु-आयामी रिश्‍तों को और आगे बढ़ाने पर विचार विमर्श किया.

मुकदमों के आबंटन के लिये नई रोस्टर प्रणाली लागू

उच्चतम न्यायालय ने न्यायाधीशों को मुकदमे आवंटित करने के लिए रोस्टर सिस्टम को लागू किया है. इस संबंध में अधिसूचना 1 फरवरी को उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर जारी कर दी गई. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने जनहित के मामलों को अपने अधीन रखने का निर्णय लिया है. यह प्रणाली 5 फरवरी से लागू हो जाएगी.

भारत ऐशगाबाद समझौते में शामिल

भारत 1 फ़रवरी को ऐशगाबाद समझौते में शामिल हो गया. यह ईरान, ओमान, तुर्किस्तान और उज़्बेकिस्तान के बीच अंतर्राष्ट्रीय परिवहन और पारगमन गलियारे को लेकर हुए समझौता है. इस समझौते पर अप्रैल 2011 में हस्ताक्षर किए गए थे. इसका उद्देश्य मध्य एशिया तथा फारस की खाड़ी के बीच व्यापारिक सड़क मार्ग कायम करना है. तुर्किस्तान की ओर से गत वर्ष भारत को सूचित किया गया था कि सभी भागीदार भारत को इस समझौते में शामिल करने के पक्षधर हैं. भारत इस समझौते में फरवरी से शामिल माना जाएगा.

अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम

मालदीव में राजनीतिक संकट व्याप्त

मालदीव की सुप्रीम कोर्ट ने नौ विपक्षी नेताओं को रिहा करने के अपने पहले के फैसले को रद्द कर दिया है. ताजा फैसला सामने आने के कुछ घंटे पहले ही पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और एक अन्य न्यायाधीश को गिरफ्तार किया था. सुप्रीम कोर्ट के बाकी तीन न्यायाधीशों ने कहा कि राष्ट्रपति की चिंता के मद्देनजर न्यायालय ने अपने पहले के फैसले को रद्द कर दिया है.

क्या है मामला? दरअसल वर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने पार्टी से अलग हुए 12 सांसदों को बर्खास्त कर दिया था. इनमें से कुछ नेताओं को कैद भी कर लिया था. लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने 9 राजनीतिक असंतुष्टों की रिहाई और 12 सांसदों की फिर से बहाली का आदेश दिया था. इस पर राष्ट्रपति ने कोर्ट का आदेश मानने से इनकार कर दिया. अगर अब्दुल्ला यामीन कोर्ट का आदेश मानते हुए सांसदों को बहाल करते हैं तो उनकी सरकार अल्पमत में आ जाएगी और उन पर महाभियोग चलाया जा सकता है.

राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन अब्दुल ग़यूम ने 5 फ़रवरी को देश में 15 दिनों के आपातकाल की घोषणा की थी. जिसके बाद मालदीव पुलिस ने पूर्व राष्टपति मामून अब्दुल गयूम को भी गिरफ्तार किया. मामून, यामीन के भाई हैं और देश के सबसे लंबे वक्त तक सत्ता में काबिज़ रहने वाले राष्ट्रपति हैं.

संयुक्त राष्ट्र ने एक वक्तव्य जारी कर आपातकाल खत्म करने और बंदी बनाये गये लोगों को रिहा किए जाने मांग की है.

चीन का मिसाइल रोधक प्रणाली का परीक्षण

चीन ने 6 फ़रवरी को मिसाइल रोधक प्रणाली का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है. गौरतलब है कि चीन अपने सहयोगी रूस के साथ दक्षिण कोरिया में अमेरिका की ओर से मिसाइल रोधक टर्मिनल हाई एल्टीच्यूड एरिया डीफेंस (थाड) की तैनाती का विरोध करता रहा है. हालांकि इस तकनीक में अनुसंधान करने से चीन पर भी कोई रोक नहीं है.

अमेरिका की नई परमाणु नीति की योजना

अमेरिका ने अपने परमाणु हथियारों के जखीरे को आधुनिक करने की नई नीति की घोषणा की है. नई नीति के तहत अमेरिका अब नए छोटे परमाणु बम विकसित करेगा और देश की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएगा. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यह रणनीति 21वीं सदी में सामने आ रहे विभिन्न खतरों का सामना करने के अनुरूप तैयार की गई है. उन्होंने कहा कि क्षमताओं को विकसित करने की रणनीति का लक्ष्य परमाणु हथियार के इस्तेमाल की क्षमताओं को न्यूनतम करना है.

इसके अलावा, यह अमेरिका, इसके सहयोगी और साझेदारों के खिलाफ रणनीतिक हमलों को रोकने की क्षमता को भी बढ़ाएगा. ट्रंप ने कहा कि महत्वपूर्ण है कि यह शस्त्र नियंत्रण और परमाणु अप्रसार की भी हमारी प्रतिबद्धता को दोहराता है.

इस योजना की चीन ने की आलोचना: चीन ने अमेरिका की इस नई परमाणु नीति की आलोचना की है. चीन ने अमेरिका से शीत युद्ध की मानसिकता छोड़ने और उसके सैन्य विकास पर एक निष्पक्ष नजरिया बनाने को कहा है.

साइप्रस के राष्‍ट्रपति के रूप में निकोस का चुनाव

साइप्रस के राष्‍ट्रपति निकोस ऐनास्‍टासिएडिस ने दूसरे कार्यकाल के लिए चुनाव जीत लिया है. कंजर्वेटिव उम्‍मीदवार ऐनास्‍टासिएडिस को 55.99 प्रतिशत वोट मिले. उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कम्‍युनिस्‍ट समर्थित उम्‍मीदवार स्‍टावरोस मालास को 44 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए. ऐनास्‍टासिएडिस को साइप्रस की अर्थव्‍यस्‍था को फिर से पटरी पर लाने का श्रेय मिला है, जो 2013 में संकट में पड़ गई थी.

4 फ़रवरी: श्रीलंका का स्वतंत्रता दिवस

प्रत्येक वर्ष 4 फ़रवरी को श्रीलंका अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है. इस वर्ष (2018) में यह 70वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. श्रीलंका को 4 फ़रवरी, 1948 में 133 वर्ष के ब्रिटिश शासन से आज़ादी मिली थी. इस अवसर पर कोलम्बो में राष्ट्रीय ध्वज समारोह, सेना की परेड के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होता है.

मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति आतंकवाद के आरोपों से बरी

मालदीव के सुप्रीम कोर्ट ने 3 फ़रवरी को पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद को आतंकवाद के आरोपों से बरी कर दिया है और सभी राजनीतिक बंदियों के रिहाई का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब लंदन में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे नशीद और उनके समर्थकों की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है.

जापान ने सूक्ष्म-उपग्रह रॉकेट का प्रक्षेपण किया

जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जेएएक्सए) ने 3 फ़रवरी को एक सूक्ष्म-उपग्रह को कक्षा में स्थापित करने में सक्षम दुनिया के सबसे छोटे रॉकेट का प्रक्षेपण किया. 10 मीटर ऊंचाई और 23 सेंटीमीटर व्यास वाले कम लागत के रॉकेट को कागोशिमा प्रांत के यूचीनौरा अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया और यूट्यूब पर इसका सीधा प्रसारण किया गया.

उत्तर कोरिया पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के उल्लंघन का आरोप

संयुक्त राष्ट्र ने उत्तर कोरिया पर प्रतिबंधों के उल्लंघन का आरोप लगाया है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर कोरिया कोयला, लोहा, स्टील और अन्य वस्तुओं का निर्यात करके प्रतिबंधों का उल्लंघन किया है. संयुक्त राष्ट्र ने इन वस्तुओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है. उत्तर कोरिया को इनके निर्यात से पिछले साल करीब 20 करोड़ डॉलर का राजस्व प्राप्त हुआ. रिपोर्ट में उत्तर कोरिया के सीरिया और म्यामां के साथ बैलिस्टिक मिसाइल और रासायनिक हथियार विकसित करने के लिए सैन्य सहयोग के सबूत भी मिले हैं.

मॉलदीव में राजनीतिक बंदियों को रिहा किए जाने का आदेश

मॉलदीव सुप्रीम कोर्ट ने देश में सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा किए जाने का आदेश दिया है. इस मामले में भारत ने आशा व्यक्त की है कि मालदीव सरकार सभी परिस्थितियों में मालदीव में भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकेगी. अमरीका ने भी मालदीव सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है.

क्यूबा के परमाणु कार्यक्रम के पूर्व प्रमुख डियाज बालार्ट की मौत

क्यूबा के क्रांतिकारी नेता और पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो के बड़े बेटे फिदेल कास्त्रो डियाज बालार्ट ने 2 फ़रवरी को खुदकुशी कर ली. 68 साल के डियाज कई महीनों से अवसाद से ग्रस्त थे. पूर्व सोवियत संघ में अध्ययन करने वाले डियाज परमाणु भौतिक वैज्ञानिक थे. वह 1980 से 1992 तक क्यूबा के राष्ट्रीय परमाणु कार्यक्रम के प्रमुख थे. खुदकुशी करने से पहले तक वह क्यूबा परिषद के वैज्ञानिक सलाहकार और क्यूबा एकेडमी ऑफ साइंसेज के उपाध्यक्ष के रूप में काम कर रहे थे. उन्होंने कैरेबिया के सबसे बड़े द्वीप पर परमाणु संयंत्र के विकास का नेतृत्व भी किया था. हालांकि बाद में उनके पिता ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था. डियाज के पिता फिदेल कास्त्रो का 90 वर्ष की उम्र में 25 नवंबर 2016 को निधन हो गया था.

आर्थिकी घटनाक्रम

वित्त वर्ष 2015-16 के जीडीपी वृद्धि दर में संशोधन

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने वित्त वर्ष 2015-16 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर संशोधित कर 8.2 फीसद कर दी है. इससे पहले जारी आकलन में इसे 8 फीसद बताया गया था. इस बारे में जारी ताजा आकलन रपट में 2016-17 में जीडीपी वृद्धि दर 7.1 फीसद रहने के आकलन को बरकरार रखा है. सीएसओ के अनुसार 2015-16 में वास्तविक जीडीपी 113.86 लाख करोड़ रुपए और 2016-17 में 121.96 लाख करोड़ रुपए रहा.

वास्तविक सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) के हिसाब 2011-12 की स्थिर आधार कीमत पर 2016-17 में वृद्धि दर 2015-16 के 8.1 फीसद की तुलना में 7.1 फीसद रही है. अग्रिम पूर्वानुमान में 2016-17 में जीवीए वृद्धि दर 6.6 फीसद आंकी गई थी.

सीएसओ ने 2016-17 के जीडीपी का पहला संशोधित आकलन 2015-16 के लिए दूसरा संशोधित आकलन तथा 2014-15 के लिए तीसरा संशोधित आकलन 31 जनवरी को जारी किया. सीएसओ ने 2014-15 के तीसरे संशोधित अनुमान में जीडीपी वृद्धि दर 7.4 फीसद तय की है. इससे पहले के अनुमान में 7.5 फीसद बताई गई थी.

भारतीय राज्य

भगवान बाहुबली का 88वां महा-मस्तकाभिषेक उत्सव

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 7 फ़रवरी को कर्नाटक के हासन जिले के श्रवणबेलगोला में भगवान बाहुबली के 88 वें महा-मस्तकाभिषेक उत्सव की शुरूआत की. महामस्तकाभिषेक बारह वर्षों में एक बार होता है. यह स्थान जैन समुदाय का प्रमुख तीर्थ स्थल है. हर साल यहां पर लाखों तीर्थयात्री पूजा-अर्चना के लिए आते हैं. यहां पर एक ही पत्थर से निर्मित भगवान बाहुबली की 57 फुट की प्रतिमा है. महामस्तकाभिषेक उत्सव 26 फरवरी तक चलेगा.

असम में ग्लोबल निवेश सम्मेलन का आयोजन

असम में 3 फ़रवरी को दो दिवसीय ग्लोबल निवेश सम्मेलन का आयोजन किया गया. गुवाहाटी में आयोजित यह राज्य का प्रथम ग्लोबल निवेश सम्मेलन था. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस सम्मलेन का उद्घाटन किया. देश-दुनिया के करीब 4500 लोगों ने इस सम्मेलन में हिस्सा लिया.

असम ने राज्य के आर्थिक विकास के लिए 12 फोकस क्षेत्र चिह्नित किए हैं. इनमें हस्तशिल, हथकरघा, जैविक खेती सहित टेक्सटाइल और प्राकृतिक गैस और पेट्रो केमिकल सहित पर्यटन, पावर और फार्मास्युटिकल भी शामिल हैं. प्रधानमंत्री ने उत्तर-पूर्व के राज्यों के विकास में बांस की अहमियत पर बल दिया. साथ ही उन्होंने बांस की उपज और इसके बाज़ार के लिए केंद्र सरकार के बजटीय प्रावधान को सम्मेलन में रखा.

केरल राज्य का 69वां बजट पेश

केरल का 69वां और मौजूदा वाम लोकतांत्रिक मोर्चा का तीसरा बजट राज्य के वित्तकमंत्री टी.एम. थॉमस आइज़क ने 2 फ़रवरी को विधानसभा में पेश किया. बजट में स्वातस्य, तटवर्ती क्षेत्र विकास, महिला और सामाजिक सुरक्षा पर ध्यान दिया गया है.

खेल जगत

इंडिया ओपन सुपर सीरीज़ की उप-विजेता बनी पीवी सिंधु

भारतीय बैडमिन्टन खिलाड़ी पीवी सिंधु इंडिया ओपन सुपर सीरीज़ के महिला एकल की उप-विजेता बन गयी हैं. 4 फ़रवरी को खेले गये इस सीरीज़ के फाइनल मुक़ाबले में सिंधु को अमेरिका की बेई-वेन झांग ने पराजित किया.

इंडिया ओपन अन्तर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी का समापन

इंडिया ओपन अन्तर्राष्ट्रीय मुक्केबाजी प्रतियोगिता का 3 फ़रवरी को समापन हो गया. यह प्रतियोगिता दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में आयोजित किया गया था. भारत ने इस प्रतियोगिता में 8 स्वर्ण पदक प्राप्त किया. भारत की मैरी कॉम, संजीत, मनीष कौशिक, पव्लिओ बसुमतारी, लोवलिना बोगोहेन, पिंकी, मनीषा और अमित ने स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब रहे. पांच बार की वर्ल्ड चैंपियन मैरी कॉम ने लाइट-फ्लाइवेट फाइनल में फिलीपींस की जोसी गाबुका को 4-1 से मात देते हुए स्वर्ण पदक हासिल किया.

असम की पेलाओ ने थाईलैंड की सुडापोर्न को लाइट वेल्टरवेट में 3-2 से मात दी. वहीं लवलिना ने वेल्टरवेट में पूजा को आसानी से हराया. भारत को हालांकि लाइट-वेट में अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा. इस वर्ग में भारत की सरिता देवी को फिनलैंड की मारजुटा मीर पोटकोनान ने मात दी.

‘खेलो इंडिया’ स्कूल गेम्स का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 31 जनवरी को नई दिल्ली के इन्दिरा गांधी इंडोर स्टे़डियम में प्रथम ‘खेलो इंडिया’ स्कूल गेम्स का उद्घाटन किया. ये खेल 8 फरवरी तक चलेंगे. ‘खेलो इंडिया’ पहल से स्कूलों से खेल प्रतिभाओं का चयन करने और उन्हें भविष्य के चैम्पियन के रूप में विकसित करने में मदद मिलेगी. ‘खेलो इंडिया’ स्कूल गेम्स दिल्ली में जवाहरलाल नेहरु स्टेडियम, इंदिरा गांधी स्टेडियम कॉम्प्लेक्स, मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम, कर्णी सिंह शूटिंग रेंज और एसपीएम स्विमिंग कॉम्प्लेक्स में आयोजित होंगे.

उत्तर, दक्षिण, उत्तर पूर्व भारत कुल 16 टीम इसमें भाग ले रही हैं. देश में जमीनी स्तर पर खेलों को पुनर्जीवत करने के मकसद से ‘खेलो इंडिया’ कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है. जिसके तहत प्राथमिकता वाले में प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को आठ साल तक हर साल पांच-पांच लाख रुपये की वित्तीय मदद दी जाएगी.

विविध घटनाक्रम

विशालकाय उल्कापिंड पृथ्वी के पास से गुज़रा

2002-AJ129 नाम का एक उल्‍कापिंड (एस्ट्रॉयड) 5 फ़रवरी को धरती के पास से होकर गुज़रा. माना जा रहा है कि इसका आकार दुनिया की सबसे ऊँची बिल्डिंग बुर्ज खलीफा से भी बड़ा है. वैज्ञानिकों का दावा है कि यह एस्ट्रॉयड करीब 0.7 मील बड़ा था और बेहद शक्तिशाली था. यह उल्‍कापिंड 67,000 मील प्रति घंटा की रफ्तार से धरती के पास से होकर गुज़रा. वैज्ञानिकों ने इसे बेहद खतरनाक बताया है. हांलाकि ये उल्कापिंड पृथ्वी की चंद्रमा से 10 गुना ज्यादा दूरी से होकर गुज़रा.

विनोद पॉल को विश्व स्वास्थ्य संगठन का सम्मान

नीति आयोग के सदस्य विनोद पॉल को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने प्रतिष्ठित एहसान डोगरामासी फैमिली हेल्थ फाउंडेशन पुरस्कार से सम्मानित किये जाने की घोषणा की है. पॉल पहले भारतीय हैं जिन्हें यह वैश्विक सम्मान दिया गया है. पेशे से डॉक्टर पॉल को यह पुरस्कार परिवार स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिये दिया गया है. उन्हें औपचारिक रूप से यह पुरस्कार मई 2018 में स्विट्जरलैंड के जिनेवा में वर्ल्ड हेल्थ एसेंबली में प्रदान किया जाएगा. उन्हें आम सहमति से अल्जीरिया, चीन, मलेशिया, मेक्सिको, रूस और उज्बेकिस्तान के उम्मीदवारों में से चुना गया है.

डा. पॉल स्वास्थ्य के क्षेत्र में खासे चर्चित हैं. उन्होंने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य दिशानिर्देश और कार्यक्रम तैयार करने में अहम भूमिका निभायी. नीति आयोग में आने से पहले वह नयी दिल्ली के भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के शिशु रोग विभाग के प्रमुख थे.

शेष आनंद को साहित्य अकादमी का भाषा-सम्मान

साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए शेष आनंद मधुकर को साहित्य अकादमी का भाषा सम्मान प्रदान किया गया. यह सम्मान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी द्वारा 31 जनवरी को प्रदान किया. सम्मान स्वरूप स्मृति फलक, अंगवस्त्रम् एवं एक लाख रपए की राशि प्रदान की गई. बिहार के गया में आठ दिसम्बर 1939 में पैदा हुए शेष आनंद मधुकर ने मगही भाषा के विकास हेतु व्यापक कार्य किए हैं. 1996 में शुरू किया गया यह भाषा सम्मान अभी तक 96 लेखकों को प्रदान किए जा चुके हैं.

35 साल में पहली बार तीन रंगों में चांद

वर्ष 2018 का पहला पूर्ण चंद्रग्रहण 31 जनवरी को दिखाई दिया. एशिया में 35 सालों बाद ऐसा संयोग बना जब ब्लू-मून, ब्लड-मून और सुपर-मून एक साथ दिखाई दिए. भारत में भोपाल, चेन्नई, जयपुर, कोलकाता, भुवनेश्वर समेत कई जगहों पर भी पूर्ण चंद्रग्रहण देखा गया.

इस दौरान चंद्रमा पृथवी की छाया से कुछ देर के लिए पूरी तरह ढक जाता है. चंद्रमा 30% ज्यादा चमकदार और 14% ज्यादा बड़ा भी दिखाई देता है. ऐसा उस समय होता है जब पूर्ण चंद्रमा पृथ्वी के सबसे ज्यादा निकट होता है और सामान्य से बड़ा और चमकीला दिखाई देता है.

नासा का दशकों से गायब उपग्रह मिला

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (नासा) ने दावा किया है कि दशकों से गायब नासा का एक उपग्रह जिसे निष्क्रिय समझा जा रहा था वह सही एवं सक्रिय है. नासा के ‘इमेजर फॉर मैग्नेटोपॉज-टू-ऑरोरा ग्लोबल एक्सप्लोरेशन’ (ईमेजी) ने 20 जनवरी को मिले इस उपग्रह की पहचान की है. अमेरिका की ‘जॉन्स हॉपंिकस एप्लाइड फिजिक्स लैब’ ने उपग्रह से सफलतापूर्वक टेलीमेट्री डेटा एकत्रित कर लिया है. अंतरिक्ष एजेंसी उपग्रह से बुनियादी हाउसकींिपंग डेटा पढ़ पा रही है, जिससे इसके मुख्य नियंत्रित प्रणाली के सक्रीय होने की संभावना बनी हुई है.

4 फरवरी: विश्व कैंसर दिवस

दुनियाभर में 4 फ़रवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है. हर साल सात लाख लोग कैंसर से मरते है. हर साल चौदह लाख नए कैंसर के मामले सामने आते है. 42 लाख कैंसर के मरीज है देश में. चालीस फीसद कैंसर सिर्फ तंबाकू के सेवन से होता है. पुरुषों में आमतौर पर कैंसर फेफड़े, मुंह, गले और आमाशय में होता है. वहीं अधिकांश महिलायें स्तन, मुंह और गर्भाशय के मुंह के कैंसर की शिकार हो रही है. कैंसर के मामलों में मौत की सबसे बड़ी वजह देर से ईलाज शुरु करना माना जाता है. कैंसर से बचाव संतुलित भोजन, साफ-सफाई, नियमित व्यायाम और ध्रुमपान से दूर रहकर किया जा सकता है.

 

 

 

 

 

 

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