Tuesday, 3 October 2017

अंतर्राष्ट्रीय अंहिसा दिवस (02 अक्टूबर)

अंतर्राष्ट्रीय अंहिसा दिवस (02 अक्टूबर)

अंतर्राष्ट्रीय अंहिसा दिवस कब मनाया जाता है?

महात्मा गांधी के जन्मदिन के अवसर पर 02 अक्टूबर को विश्व अहिंसा दिवस या अंतर्राष्ट्रीय अंहिसा दिवस मनाया जाता है। भारत में इसे गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस का इतिहास:

संयुक्त राष्ट्र महासभा में 15 जून 2007 को 02 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस स्थापित करने के लिए मतदान हुआ। संयुक्त राष्ट्र महासभा के कुल 191 सदस्य देशों में से 140 से भी ज़्यादा देशों ने इस प्रस्ताव को सह-प्रायोजित किया। इनमें अफ़ग़ानिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान जैसे भारत के पड़ोसी देशों के अलावा अफ़्रीका और अमरीका महाद्वीप के कई देश भी शामिल थे।मौजूदा विश्व व्यवस्था में अहिंसा की सार्थकता को मानते हुए बिना मतदान के ही सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव को पारित कर दिया गया था। अहिंसा की नीति के ज़रिए विश्व भर में शांति के संदेश को बढ़ावा देने के महात्मा गाँधी के योगदान को सराहने के लिए ही इस दिन को ‘अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाने का फ़ैसला किया गया। तब ही हर साल 02 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।

सत्याग्रह:

भारतीय संविधान मौलिक अधिकारों के माध्‍यम से भारत के सभी नागरिकों को कानून के समक्ष समानता का अधिकार देता है। यह जाति, धर्म, नस्‍ल, लिंग या जन्‍म के आधार पर भेदभाव का निषेध करता है और अस्‍पृश्‍यता को समाप्‍त करता है। भारत सत्‍य और अहिंसा की मान्‍यताओं का पालन करता है, क्‍योंकि देश की लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था स्‍वराज की विचारधारा का प्रतिनिधित्‍व करती है। महात्मा गाँधी ने सत्याग्रह को इन लोगों की परिस्थितियों में सुधार लाने और इन्‍हें सामाजिक न्‍याय दिलाने के साधन के रूप में इस्‍तेमाल किया, जैसे- सार्वभौमिक शिक्षा, महिलाओं के अधिकार, सामुदायिक सौहार्द, निर्धनता का उन्‍मूलन, खादी को प्रोत्‍साहन देना आदि। गाँधीजी ने सात सामाजिक बुराइयाँ गिनाई थीं, जो निम्नलिखित हैं-

सिद्धांतों के बिना राजनीति।परिश्रम के बिना संपत्ति।आत्‍म चेतना की बिना आनंद।चरित्र के बिना ज्ञान।नैतिकता के बिना व्‍यापार।मानवता के बिना विज्ञान।बलिदान के बिना पूजा।

महात्‍मा गांधी का जीवन परिचय

महात्‍मा गांधी जी का जन्‍म 2 अक्‍टूबर 1869 ई० को गुजरात के पोरबंदर नामक स्‍थान पर हुुआ थाइनके पिता का नाम करमचन्‍द गांधी और माता का नाम पुतलीबाई थाइनके पिता ब्रिटिश राज के समय काठियावाड़ की एक छोटी सी रियासत के दीवान थेगांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी (Mohandas Karamchand Gandhi) थाजब गांधी जी मात्र तेरह वर्ष केे थे तब इनका विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा से कर दिया गया थागांधी जी की पत्‍नी कस्तूरबा का निधन 1944 ई. में पूना की ब्रिटिश जेल में हो गया था इन दोनो ने 62 वर्ष तक वैवाहिक जीवन बिताया थागांधी जी ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पाेेरबंंदर से पूरी की थीइसके बाद गांधी जी कानून की पढाई करने और बैरिस्टर बनने के लिये इंग्लैंड चले गयेजब गांधी जी वर्ष 1891 मेेंं भारत वापस आये तब तक इनकी माता का देेहान्‍त हो चुका थागांधी जी भारत आकर बोम्‍बे में वकालत की शुरुआत की पर उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिलीइसके बाद गांधी जी ने सन् 1893 में एक भारतीय फर्म से नेटल (दक्षिण अफ्रीका) में एक वर्ष के करार पर वकालत का कार्य स्वीकार कर लियागांधी जी ने अपने जीवन के 21 साल दक्षिण अफ्रीका में व्‍यतीत कियेे थेएक बार ट्रेन में प्रथम श्रेणी कोच की वैध टिकट होने के बाद तीसरी श्रेणी के डिब्बे में जाने से इन्कार करने के कारण उन्हें ट्रेन से बाहर फेंक दिया गयाइस घटना से गांधी जी के जीवन में एक गहरा मोड अाया और गांधी जी वर्ष 1914 में भारत वापस आये इस समय तक गांधी जी राष्ट्रवादी नेता और संयोजक के रूप में प्रतिष्ठित हो चुके थेभारत आकर गांधी जी ने बिहार के चम्पारण और गुजरात के खेड़ा में हुए आंदोलनों ने गाँधी को भारत में पहली राजनैतिक सफलता दिलाईइसके बाद गांधी ने असहयोग आन्‍दोलन की शुरूआत की असहयोग आन्दोलन को अपार सफलता मिल रही थी जिससे समाज के सभी वर्गों में जोश और भागीदारी बढ गईलेकिन फरवरी 1922 में हुऐ चौरी-चौरा कांड के कारण गांधी जी ने  असहयोग आन्‍दोलन वापस ले लिया थाइसके बाद गांधी जी पर राजद्रोह का मुकदृमा चलाया गया था और उन्‍हें छह वर्ष की सजा सुनाई गयी थी ख़राब स्वास्थ्य के चलते उन्हें फरवरी 1924 में सरकार ने रिहा कर दियागांधी जी ने मार्च 1930 में नमक पर कर लगाए जाने के विरोध में नया सत्याग्रह चलाया जिसके तहत 12 मार्च से 6 अप्रेल तक 248 मील का सफर अहमदाबाद से दांडी तक गांधी जी ने पैदल चकलकर तय किया ताकि स्वयं नमक उत्पन्न किया जा सकेभारत छोडो आंदोलन केे तहत गांधी जी को मुम्‍बई में 9 अगस्‍त 1942 ई० को गिरफ्तार कर लिया गया गांधी जी को पुणे के आंगा खां महल में दो साल तक बंदी बनाकर रखा गयाराष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की हत्‍या 30 जनवरी 1948 को दिल्ली के ‘बिरला हाउस’ में शाम 5:17 कर दी गयीसयुंक्त राष्ट्र महा सभा ने 15 जून 2007 को यह घोषणा की गई थी कि 2 अक्टूबर (2 October) को "अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस" के रूप में मनाया जाएगागांधी के मुख से निकले अन्‍तिम शब्‍द "हे राम" थेगांधी जी का स्‍मारक स्‍थल राज घाट, नई दिल्ली, हैगांधी जी की हत्‍या नाथूराम गोडसे ने की थी गांधी जी की हत्‍या केे आरोप में नाथूराम गोडसे और उसके एक साथी काेे 15 नवंबर 1949 को फांंसी दे दी गई

 

 

 

 

 

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