Wednesday, 27 September 2017

गुरुत्व केंद्र व संतुलन

गुरुत्व केंद्रसंतुलन

क्या है गुरुत्व केंद्र

किसी वस्तु का गुरुत्व केंद्र वह बिंदु है चाहे वस्तु किसी भी स्थिति में रखी जाये उस पर वस्तु का समस्त भार कार्य करता है

 

क्या है संतुलन

वस्तु का भार गुरुत्व केंद्र से ठीक नीचे की ओर कार्य करता है अत: गुरुत्व केंद्र पर वस्तु के भार के बराबर ऊपरी बल लगाकर हम वस्तु को संतुलित कर सकते है, जब किसी वस्तु पर कई बल इस प्रकार लगा रहे हो कि वस्तु ना तो रेखीय गति ना ही घूर्णन गति करे तो वस्तु संतुलन की अवस्था मे कहलाती है

 

कोई वस्तु कब तक संतुलन में रह सकती है

कोई भी वस्तु उस समय तक संतुलन की अवस्था में रह सकती है जब तक उसके गुरुत्व केंद्र से होकर जाने वाली उर्ध्वाधर रेखा उस वस्तु के आधार के क्षेत्रफल के अंदर से होकर गुजरती है, यदि यह रेखा आधार के क्षेत्रफल के बाहर हो जाती है तो वस्तु का संतुलन बिगड जाता है और गिर पडती है इसलिए वस्तु के आधार का क्षेत्रफल जितना बडा होगा उस वस्तु का संतुलन उतना ही अधिक स्थाई होगा

संतुलन का उदाहरण

1.  पीसा की मीनार झुकी होने पर भी आज तक खडी हुई है इसका कारण यह है कि इसके केंद्र से जाने वाली उर्ध्वाधर रेखा इसके आधार से होकर गुजरती है जब इस मीनार का झुकाब इतना अधिक हो जायेगा कि गुरुत्व केंद्र से होकर गुजरने वाली उर्ध्वाधर रेखा आधारके बाहरहोकर गुजरने लगेगी तो ये मीनार गिर जायेगी

2. जब हम पानी से भरी बाल्टी अपने दाएं हाथ में लेकर चलते है तो बाएं हाथ की तरफ झुक जाते है वास्तव में ऐसा हम इसलिए करते है क्योकि हमारे गुरुत्व केंद्र से होकर जाने वाली उर्ध्वाधर रेखा हमारे पैरो के बीच में होती है
संतुलन कितने प्रकार का होता है

संतुलन तीन प्रकार के होते है, स्थाई संतुलन, अस्थाई संतुलन, उदासीन संतुलन

1. स्थाई संतुलनयदि किसी वस्तु को संतुलन स्थिति से थोडा विस्थापित किया जाये और छोडते ही वह पूर्व स्थिति में आ जाये तो वह स्थाई संतुलन कहलाता है जैसे-अपने आधार पर रखा शंकु

2. अस्थाई संतुलनयदि किसी वस्तु कि संतुलन स्थिति से थोडा विस्थापित किया जाये और छोड देने पर वह पूर्व स्थिति में ना आये तो वह अस्थाई संतुलन कहलाता है जैसे- अपने शीर्ष पर रखा हुआ शंकु यदि उसको थोडा सा हिलाया जायेगा तो उसका संतुलन बिगड जायेगा और वह गिर पडेगा

3. उदासीन संतुलन- यदि किसी वस्तु को संतुलन की स्थिति से थोडा सा विस्थापित किया जाये और छोड देने पर वस्तु अपनी नई स्थिति मे संतुलित हो जाये तो उदासीन संतुलन कहलाता है जैसे-तिरछे फलक के सहारे शंकु, गेंद, बेलन इत्यादि

 

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