अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा के अवमूल्यन के कारण
1. सरकार के पास धन का अभाव
देश में खस्ताहाल हालातों की स्थिति में प्रधानमंत्री नेहरू ने रूस की पंचवर्षीय योजना के मॉडल को अपनाया। इसके अलावा 1950 और 1960 के दशक में भारत सरकार लगातार ऋण के रूप में विदेशी मुद्रा लेती रही, जिसके कारण विनिमय दर 4.75 रूपये/अमेरिकी डॉलर हो गयी ।
2. चीन और पाकिस्तान के साथ युद्ध
1962 के भारत-चीन युद्ध, 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और 1966 के भयंकर सूखे के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था की उत्पादन क्षमता में कमी आई जिससे मुद्रास्फीति में वृद्धि हुई। इस समय भारत सरकार को बजट घाटे का सामना करना पड़ रहा था और बचत की नकारात्मक दर के कारण उसे विदेशों से अतिरिक्त ऋण नहीं मिल सकता था। इसके अलावा अपनी घरेलू उत्पादन क्षमता में वृद्धि करने के लिए भारत सरकार को प्रौद्योगिकी की जरूरत थी। अतः प्रौद्योगिकी की प्राप्ति और उच्च मुद्रास्फीति से निपटने के लिए और विदेशी व्यापार के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था को खोलने के लिए सरकार ने रूपये के बाह्य मूल्य में अवमूल्यन किया जिसके कारण विनिमय दर 7 रूपये/अमेरिकी डॉलर हो गयी थी ।
3. राजनीतिक अस्थिरता और 1973 की तेल त्रासदी
1973 की तेल त्रासदी का कारण, अरब पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (OAPEC) द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती थी जिसके कारण तेल के आयात मूल्य में वृद्धि हुई। अतः इस आयात मूल्य का भुगतान करने के लिए भारत को विदेशी मुद्रा के रूप में ऋण लेना पड़ा जिससे भारतीय मुद्रा का अवमूल्यन हुआ। इसके अलावा प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के कारण भी भारतीय अर्थव्यवस्था में विदेशियों का विश्वास कम हुआ। अतः इन सभी घटनाओं के परिणामस्वरूप विनिमय दर में कमी हुई और यह 1985 में 12.34 रूपये/अमेरिकी डॉलर जबकि 1990 में 17.50 रूपये/अमेरिकी डॉलर हो गया।
4. 1991 का आर्थिक संकट
ऐसा माना जाता है कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था का सबसे कठिन दौर था। इस दौर में राजकोषीय घाटा, सकल घरेलू उत्पाद का 7.8%, ब्याज भुगतान सरकार के कुल राजस्व संग्रह का 39%, चालू खाता घाटा (CAD) सकल घरेलू उत्पाद का 3.69% और थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति लगभग 14% थी । इन सब परिस्तिथियों में भारत विदेशियों को भुगतान नही कर पा रहा था जिसके कारण अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा भारत को दिवालिया घोषित किया जा सकता था। अतः इन सभी समस्याओं से निपटने के लिए सरकार ने फिर से भारतीय मुद्रा का अवमूल्यन किया और विनिमय दर 24.58 रूपये/अमेरिकी डॉलर हो गयी।
5. अन्य कारण
विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय रूपये का अवमूल्यन नहीं हुआ है बल्कि अमेरिकी डॉलर का अधिमूल्यन हुआ है जिसके कारण विनिमय दर में यह अंतर आया है। इसके अलावा भारतीय रूपये के अवमूल्यन के निम्न कारण हैं:
» तेल आयात पर खर्च का कम न होना
» भारी मात्रा में सोने का आयात
» विलासिता वाली वस्तुओं का आयात
» पोखरण परमाणु परीक्षण-II
» 1997 का एशियाई वित्तीय संकट
» वर्ष 2007-08 में वैश्विक आर्थिक मंदी
» यूरोपीय सार्वभौम ऋण संकट (2011
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