नीति आयोग
नीति आयोग जिसे नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया के रूप में जाना जाता है, छह दशकों पुराने योजना आयोग की जगह 1 जनवरी 2015 को अस्तित्व में आया था। योजना आयोग को 1950 के दशक में आजादी के बाद भारत के विकास की जरूरत के लिएस्थापित किया गया था । इसने राज्य सरकारों के लिये उनके विकास की जरूरतों को पूरा करने हेतु संसाधन उपलब्ध कराये और विकास के लिए पांच साल की योजनाएं बनाई।
कारणजिनके चलते योजनाआयोगको नीतिआयोगकेसाथबदलदियागया
योजना आयोग के बारे में अधिकांश आलोचना यह है कि इसने राज्यों पर उनके सक्रिय सहयोग के बिना अपने विकास के एजेंडे थोप दिये और उनकी सामाजिक आर्थिक विशिष्टता पर विचार नहीं दिया। आयोग योजना द्वारा ‘एक आकार सभी के लिए फिट’ का अनुसरण किया गया।
नीति आयोग जहां सामरिक और तकनीकी मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकारों को सलाह देने के थिंक टैंक की तरह होगा वही योजना आयोग में हितधारकों की कोई सक्रिय भागीदारी नहीं थी।
नीति आयोग की संचालन परिषद में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और लेफ्टिनेंट गवर्नर्स होंगे वहीं योजना आयोग में राज्यों के मुख्यमंत्रियों को सक्रिय रूप से शामिल नहीं किया गया।
नीति आयोग का मूलमंत्र राज्यों के साथ भागीदारी, समानता, पारदर्शिता, समर्थ व सशक्त लोग व समग्रता है जो योजना आयोग बनाने में दिखाई नहीं दिया।
नीति आयोग विकास के निम्न से उच्च मॉडल का पालन कर गांव, राज्यों की विशेष विकास की जरूरतों को पूरा करेगा। यह विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों से युक्त विकास में लचीला दृष्टिकोण प्रदान करेगा।
नीति आयोग की संरचना
• अध्यक्ष : प्रधानमंत्री
• सीईओ: अमिताभ कांत
• वाइस चेयरमैन: अरविंद पनगडिया
• पूर्णकालिक सदस्य: बिबेक देबरॉय और वीके सारस्वत
• दो अंशकालिक सदस्य
• पदेन सदस्य के रूप में चार केंद्रीय मंत्री (राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुरेश प्रभु और राधा मोहन सिंह)
• संचालन परिषद के सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और लेफ्टिनेंट गवर्नर्स शामिल।
• किसी भी राज्य के विशिष्ट मुद्दों का समाधान करने हेतु क्षेत्रीय परिषदों का गठन किया जाएगा।
• प्रासंगिक डोमेन ज्ञान रखने वाले विभिन्न क्षेत्रों से आमंत्रित सदस्य
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